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Shab e Barat Ki Dua Namaz In Hindi (शब-ए-बरात की दुआ और नमाज़)

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shab e barat ki dua
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शब-ए-बरात की नमाज़ का तरीका (Shab e Barat ki Dua Aur Namaz)

Shab e Barat Ki Dua:- अगर आप शब-ए-बरात की नफ़्ल नमाज़ और शबे बारात की दुआ (Shab e Barat Ki Dua) का सही तरीका जानना चाहते हैं, तो यह पोस्ट आपके लिए है। माहे शाबान की पंद्रहवीं रात को शब-ए-बरात मनाई जाती है, जो बहुत ही अफजल रात मानी जाती है। इस रात को इबादत में गुजारना बेहद फायदेमंद होता है, क्योंकि इसी रात में आने वाले साल की तक़दीर लिखी जाती है।

Important Of Shab e Barat ki Dua Aur Namaz

शब-ए-बरात में इबादत का महत्व :- शब-ए-बरात की रात अल्लाह से अपने गुनाहों की मुआफी मांगने और ज्यादा से ज्यादा इबादत करने की रात होती है। इस रात में रो-रोकर दुआ करनी चाहिए, क्योंकि अल्लाह ही रिज़्क़ देने वाला और जिंदगी-मौत का मालिक है।

मग़रिब के बाद शब-ए-बरात की नमाज़

  1. मग़रिब की नमाज़ अदा करने के बाद तस्बीह और दुआ करें।
  2. 6 रकअत नफ़्ल नमाज़ 2-2 रकअत की नियत से पढ़ें।
  3. पहली 2 रकअत नमाज़ से पहले यह दुआ करें: “या अल्लाह! इन दो रकअतों की बरकत से मेरी उम्र में बरकत अता फरमा।”
  4. हर नमाज़ के बाद 21 बार सूरह इखलास और 1 बार सूरह यासीन पढ़ें।

शब-ए-बरात की नमाज़ ईशा के बाद

  1. सबसे पहले ग़ुस्ल करें और फिर तहियतुल वुजू की 2 रकअत नमाज़ पढ़ें।
  2. हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी एक बार और सूरह इखलास तीन बार पढ़ें।
  3. 12 रकअत नमाज़ 4-4 की नियत से अदा करें।
  4. हर रकअत में सूरह फातिहा के बाद सूरह इखलास 10 बार पढ़ें।

Shab e Barat ki खास नमाज़ (100 रकअत नफ़्ल)

  1. अगर मुमकिन हो तो 2-2 रकअत करके 100 रकअत नफ़्ल नमाज़ अदा करें।
  2. हदीस में आया है कि जो शख्स इस रात में 100 रकअत नफ्ल पढ़ता है, उसे 100 फरिश्ते मुकर्रर कर दिए जाते हैं, जिनमें से:
  • 30 फरिश्ते उसे जन्नत की खुशखबरी देते हैं।
  • *30 फरिश्ते जहन्नम से बचने की बशारत देते हैं।
  • 30 फरिश्ते बला और आफत से महफूज़ रखते हैं।
  • 10 फरिश्ते शैतान के फितनों से महफूज़ रखते हैं।

शबे-बरात में दुआ और इबादत

  1. नमाज़ के बाद तीसरा कलिमा, चौथा कलिमा और दरूद शरीफ पढ़ें।
  2. दुआ-ए-निस्फ शाबान पढ़ें।
  3. सूरमा लगाना अफजल माना जाता है।

Shab e Barat Ki Dua 

शब-ए-बरात की दुआ
बिस्मिल्ला हिर्रहमान निर्रहीम
अलाहुम्मा या जल मन्नि वला यमुत्रु अलैहि 0 या जलजलालि वल इकराम 0
या जत्तोलि वल इनआम 0 ला इलाहा इला अन्ता ज़हरल्लाजीन 0 वजारल मुस्तजिरीन व अमानल खाइफीन 0 अल्लाहुम्मा इन कुन्ता कतब तनी इन्दका फी उम्मिल किताबि शकीय्यन
औ महरूमन ओं मतरुदन औ मुक़त्तरन अलय्या फिरिज्क़ 0
फ़म्हु अल्लाहुम्मा बि फ़दलिका शकावती व हिरमानी व तर्दी वक तितारि रिज़्क़ी 0
व सबितनी इन्दका फी उम्मिल किताबि सईदम मरजूकम मुवफ्फक़ल लिलखैरात 0
फ इन्नका कुल्ता व कौलुकल हक़्क़ फी क़िताबिकल मुन्जल 0
अला लिसानि नबीय्यिकल मुरसल 0 यम्हुल्लाहु मा यशाउ वयूस्बितु व इन्दहू उम्मुल किताब 0 इलाही बीतजल्लि यिल अअज़म 0 फी लैलतिन्निस्फे मिन शहरि शअबानुल मुक़र्रमल्लती युफ़ रकु फीहा कुल्लु अमरिन हकीमिंव व युबरम 0 अन तकशिफा अन्ना मिनल बलाइ वल बलवाई मा नअलमु वमाला नअलम वमा अन्ता बिही अअलम 0 इन्नका अन्तल अअज़्ज़ुल अकरम 0
वसल्ललाहो तआला अला सय्यिदिना मुहम्मदिव व अला आलिही व सहबिहीँ व सल्लम 0 वल हम्दु लिल्लाहि रब्बिल आलमीन 0

 

निष्कर्ष

शब-ए-बरात की रात को मोबाइल या टीवी पर समय बिताने के बजाय अल्लाह की इबादत में लगाएं। यह रात दुआ, इबादत और तौबा की रात होती है। इस मौके को गंवाए बिना अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी और बेहतर जिंदगी की दुआ करें।

अल्लाह हम सभी की दुआ कबूल फरमाए, आमीन!

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